santana dharma
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सनातन धर्म क्या है?

सनातन धर्म की बात करें तो हम इस धर्म को एक वैकल्पिक धर्म के नाम से भी पुकारते है। आपको भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिए सनातन धर्म का नाम वैदिक काल में सुनने को मिलता है।

Sanatan Dharma का सीधा मतलब निकाले तो इसका कभी भी अंत नहीं होता मतलब जो हमेशा ही बना रहता है उसमे हम शाश्वत भी कह सकते है।

जिस तरह जैन भी एक धर्म है तथा सिख भी एक धर्म है जो लोगो द्वारा लिया जाता है इन्ही की तरह सनातन भी एक धर्म है।

आपको बता दे कई लोग सनातन धर्म को तथा वैदिक धर्म को अलग मानते है। इन दोनों धर्मो को अलग-अलग भाव से देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है की विदेशियों ने ही हिन्दू नाम को दिया होगा।

इस धर्म का पहला नाम आर्य धर्म था परन्तु कई व्यक्तियों द्वारा इसका नाम वैदिक धर्म कहा जाता है।

वैसे हिन्दू और सनातन धर्म एक ही माना जाता है। इसका बहुत पुराना इतिहास माना जाता है। वैकल्पिक नाम भी इसमें सम्मलित है। इसका इतिहास 1960853110 वर्ष तक का पुराना इतिहास माना जाता है।

सनातन का अर्थ

सनातन धर्म को बताने के लिए या उसके विषय में कुछ समझाने के लिए इसका कोई भी पुराना नाम सुनने को नहीं मिलता है। यह कहा जाता है की इसमें किसी भी और अखंड धर्म नहीं है।

जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा है ठीक वैसे ही संसार में कई निम्न धर्म बनाये जा रहे है या ये कहे उदय हो रहा है इसलिए हिन्दू धर्म को दूसरे धर्म से अलग करना जरुरी कहा गया। धर्म को रिलिजन या ये कहे जीवन शैली कहा जाता है।

हर किसी व्यक्ति का धर्म अलग अलग होता है और वह उस धर्म को ही मानता है उसी धर्म की पूजा करता है। अपना धर्म हर किसी को अच्छा लगता है।

अलग-अलग धर्म के आधार पर भगवान की अलग पूजा की जाती है भगवान को माना जाता है पर आपको बता दे भगवान तो एक ही है।

इस धर्म को सम्बोधित शाब्दिक रूप से नहीं बल्कि कर्तव्य रूप से अपने शब्दों में परिभाषित करते है। क्योंकि दुनिया में सब लोगो के अलग अलग धर्म है। आपको क्षत्रिय और ब्राह्मण का धर्म एक लगता है नहीं ना दोनों धर्म अलग अलग है।

एक सामान्य नागरिक और एक सामान्य साधु का धर्म में आपको विभिन्नता देखने को मिलेगी।

सनातन धर्म के प्रमुख देवी देवता

हर धर्म की तरह ही सभी धर्मों में विभिन्न देवी देवता होते है। उनको इन ग्रंथो में वर्णन किया जाता है। इन धर्मों में आपको कई प्रकार के देवी-देवताओं के बारे में जानने को मिलेगा जैसे- भगवन श्री कृष्ण, माता सीता, महालक्ष्मी शक्ति, भगवान शिव, भगवान राम आदि। इस धर्म में सभी देवताओं का जिक्र किया गया है।

सनातनी कैसे बनें

ये तो आपको भी मालूम होगा की सनातनी बनने के लिए आपका Sanatan Dharma होना आवश्यक है या आपको सनातन धर्म को अपनाना होगा।

यदि हमारे भीतर दैवी गुण नहीं पाए जाते है तो हम सनातनी नहीं है। सनातनी बनने के लिए सबसे पहले हमारे पास सनातनी गुण होने चाहिए।

हमे उच्चतम अवस्था में ध्यान लगा कर भगवान में एकाकार होना है। हमारा इनमे विलय भी उसी रूप में हो जाता है। इसी स्तिथि को हम सनातन कहते है। हमे संसार की मोह माया से निकलकर बहार आ कर अपने बंद हुई आंखे खोलनी होगी।

यदि हमने अपनी भावनाओं में कण्ट्रोल कर दिया और अपनी मन इच्छा शक्ति में धैर्य रख लिया है तो इस स्तिथि में आप सनातन बन चुके है। हमारा ईश्वर से मिलन हो गया है हम उनमे एकाकार हो कर उनकी भक्ति में खो गए है इस अवस्था को सनातन कह कर सम्बोधित किया जाता है।

हम किसी अन्य भाषा या वाक्यों को पढ़ कर सनातनी नहीं बनते इसके लिए हमे गीता एवं शास्त्र पढ़ने होंगे और हमको सनातनी बनना होगा।

क्या सनातन धर्म विरोधाभासी है?

सनातन धर्म को हम सत्य का धर्म भी कहते या सत्य धर्म कहते है। Sanatan Dharma से ही सत्य का जन्म हुआ है। कभी भी सनातन धर्म विरोधाभासी नहीं होता है हम इस धर्म को विरोधाभासी के नाम से नहीं बुला सकते।

ऋषियों ने पहले से सत्य को देखा है उनको पता है की सनातन एक सत्य के मार्ग पर चलने वाला धर्म है।

वेदो में ईश्वर के जन्म को लेकर यह कहा गया है की ना ही इसने कभी जन्म लिया है और ना ही इसकी कभी मृत्यु हुई है अर्थात इसका कभी अंत नहीं हो सकता है। ईश्वर को अलग नाम से तो बुलाया गया है परन्तु यह एक ही अवतार है और भगवान एक ही है।

हिस्ट्री ऑफ़ सनातन धर्म

सनातन धर्म के इतिहास की बात करें तो सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म या वैदिक धर्म भी कहा जाता है। सनातन धर्म के अस्तित्व या चिह्न भारत और आज के पाकिस्तानी क्षेत्र की सिंधु घाटी सभ्यता में मिलते हैं। यह चिह्न सिंधु घाटी सभ्यता से बरामद किए गए जिनमे से अज्ञात मातृदेवी की मुर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग, पीपल की पूजा आदि।

यह धर्म 1960853110 वर्ष पुराना है, जिसे लेकर इतिहासकारों के मुताबिक इस सभ्यता के आखिर में मध्य एशिया से जाति का आगमन हुआ था, जिन्हे आर्यों के नाम से जाना जाने लगा और इनका संस्कृत नाम की हिन्दू यूरोपीया भाषा बोलते थे।

पुराने काल में भारत में पांच तरह की सम्प्रदाय जिनमे गाणपत्य, शैवदेव, सौर नाम, कोटी वैष्णव और शाक्त शामिल थे। इनमे वैष्णव विष्णु की, शैवदेव, कोटि शिव की, गाणपत्य गणेश की, सूर्य की पूजा और शाक्त शक्ति की अरावधना किया करते थे। ऋग्वेद से लेकर रामायण और महाभारत जैसे लोकप्रिय एवं प्रसिद्द ग्रंथों में भी सपष्ट रूप में व्याख्या की गई है।

देवताओं को लेकर भी प्रत्येक सम्प्रदाय के समर्थक अपने देवता को अपने देवता को दूसरे देवता से बड़ा समझते थे, जिसके कारण उनमे अनबन बनी रहती थी। इस समस्या के समाधान के लिए और लोगों में एकता बनाए रखने के उद्देश्य से धर्मगुरुओं ने लोगों को यह शिक्षा देना शुरू किया की सभी देवता एकसमान है, जिससे उनमे वैमनस्य को खत्म करने में मदद मिल सकेगी।

देवी देवता जैसे- शिव, विष्णु, शक्ति देवी आदि ये सब एक दूसरे के आपस में भक्त थे। जो उनकी संप्रदाय होती है उनमे बहुत मेल देखने को मिलता है जिसमे सनातन धर्म की शुरूवात मानी जाती है।

विष्णु, शक्ति तथा शिव भगवानों को सनातन धर्म में समान बताया गया है एवं जो तीन संप्रदाय थे वे भी सनातन धर्म को मानने लग गए।

सनातन धर्म कितना पुराना है?

जैसा की हमने आपको ऊपर के पैराग्राफ में बताया की सनातन धर्म का इतिहास बहुत ही पुराना है। इस धर्म के चिन्ह सिंधु घाटी सभ्यता के इतिहास में माने जाते है।

इसमें निम्नलिखित चिन्ह देखने को मिलते है- लिंग, पीपल पूजा, अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, शिव पशुपति देवता की मूर्ति (अलग-अलग मुद्राएं) आदि बहुत ही प्रमुख है।

इतिहासकारों की एक दृष्टिकोण के हिसाब से यह माना जाता है की जो यह सभ्यता है जब इसका अंत समय था तो उस समय और किसी जाति की उपस्थिति मानी जाती है। इस जाति को आर्य जाति के नाम से जाना जाता था। मतलब ये जाति अपने आप को स्वयं आर्यों का पूर्वज बताया या बोला करती थी। आर्य हिन्द यूरोपीय भाषा को संस्कृत भाषा के नाम से बुलाया करते है। इनका जो मूल स्थान बताया गया है वह भारत देश को बताया गया है।

सनातन धर्म का मानव जीवन में क्या महत्व है?

सनातन धर्म का मानव से बहुत पुराना और आवश्यक रिश्ता है यह धर्म अनादिकाल से पूरी दुनिया में चला आ रहा है। आप भी जानते है।

आपको पता है की जब जब किसी भी धर्म पर उंगली उठी है तो भगवान ने हमेशा की तरह आदिकाल से धर्म की रक्षा की है।

ब्रह्मा, आत्मा तथा बह्मांड ने पहले से ही इस रहस्य के बारे में बताया है कि ऋषि मुनियों द्वारा मोक्ष की गहरी अवस्था प्रदान की जाती है।

मोक्ष की धारणा में आनुवदन किया जाता है। मोक्ष को सनातन धर्म का मार्ग माना जाता है।

सनातन धर्म और हिन्दू धर्म में क्या अन्तर है?

ऐसा माना जाता है की सनातन धर्म और हिन्दू धर्म में जो भी अंतर है इनमें कोई भी अंतर मुख्य रूप से नहीं पाया जाता है। नवीन समय में हिंदू धर्म के नाम से भी सनातन धर्म को बुलाया जाता है।

दोनों धर्मो में ईश्वर की आराधना की जाती है और भगवान को सत्य मानकर उनकी पूजा की जाती है।

आपको बता दे जो सनातन और हिन्दू धर्म है वह दुनिया में सबसे धर्मो की श्रेणी में एक समान माने जाते है। अर्थात ये दोनों धर्म एक जैसे ही है।

इनमे सिर्फ आपको एक ही अंतर देखने को मिलेगा की इन दोनों धर्मो को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है।

सनातन धर्म वैदिक संस्कृति इतिहास से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर

सनातन धर्म क्या है?

सनातन धर्म को हिन्दू धर्म भी कहा जाता है।

सनातन धर्म का इतिहास कितना पुराना है?

सनातन धर्म का इतिहास बहुत पुराना है करीबन 1,96,58,83,110 साल का इतिहास है।

सनातन धर्म की उत्पति कैसे हुई मानी जाती है?

Sanatan Dharma की उत्पति में हम यह कह सकते है सनातन धर्म ईश्वर है मतलब इसका ना कोई प्रारम्भ हुआ है और ना ही इसका अंत हुआ है। ये हमेशा के लिए अमर है।

सनातन को भारतीय उपमहाद्वीप में किस काल से बुलाया जाता है?

सनातन को भारतीय उपमहाद्वीप में सनातन धर्म को वैदिक काल के नाम से जाना जाता है।

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