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छत्रपति शिवाजी महाराज: जीवनी, इतिहास और प्रशासन

chattarpatti shivaji
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शिवाजी, भारत में मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे. शिवाजी की जन्मतिथि को लेकर मतभेद हैं. कुछ इतिहासकार इनका जन्म 19 फ़रवरी,1630 मानते हैं तो कुछ अप्रैल 1627 मानते हैं. आइये इस लेख में शिवाजी की जीवनी और अन्य घटनाओं के बारे में जानते हैं.

Shivaji Maharaj: Imaginary Picture

छत्रपति शिवाजी महाराज निर्विवाद रूप से भारत के सबसे महान राजाओं में से एक हैं. उनकी युद्ध प्रणालियाँ आज भी आधुनिक युग में अपनायीं जातीं हैं. उन्होंने अकेले दम पर मुग़ल सल्तनत को चुनौती दी थी.

शिवाजी के बारे में तथ्यात्मक जानकारी (Factual Information )

नाम: शिवाजी भोंसले

जन्म तिथि: 19 फरवरी, 1630 या अप्रैल 1627

जन्मस्थान: शिवनेरी किला, पुणे जिला, महाराष्ट्र

पिता: शाहजी भोंसले

माता: जीजाबाई

शासनकाल: 1674–1680

जीवनसाथी: साईबाई, सोयाराबाई, पुतलाबाई, सकवरबाई, लक्ष्मीबाई, काशीबाई

बच्चे: संभाजी, राजाराम, सखुबाई निम्बालकर, रणुबाई जाधव, अंबिकाबाई महादिक, राजकुमारबाई शिर्के

धर्म: हिंदू धर्म

मृत्यु: 3 अप्रैल, 1680

शासक: रायगढ़ किला, महाराष्ट्र

उत्तराधिकारी: संभाजी भोंसले

शिवाजी महाराज योद्धा राजा थे और अपनी बहादुरी, रणनीति और प्रशासनिक कौशल के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने हमेशा स्वराज्य और मराठा विरासत पर ध्यान केंद्रित किया था.
शिवाजी महाराज, शाहजी भोंसले और जीजा बाई के पुत्र थे. उन्हें पूना में उनकी माँ और काबिल ब्राहमण दादाजी कोंडा-देव की देखरेख में पाला गया जिन्होंने उन्हें एक विशेषज्ञ सैनिक और एक कुशल प्रशासक बनाया था. 
शिवाजी महाराज, गुरु रामदास से धार्मिक रूप से प्रभावित थे, जिन्होंने उन्हें अपनी मातृभूमि पर गर्व करना सिखाया था.

17वीं शताब्दी की शुरुआत में नए योद्धा वर्ग मराठों का उदय हुआ, जब पूना जिले के भोंसले परिवार को सैन्य के साथ-साथ अहमदनगर साम्राज्य का राजनीतिक लाभ मिला था. भोंसले ने अपनी सेनाओं में बड़ी संख्या में मराठा सरदारों और सैनिकों की भर्ती की थी जिसके कारण उनकी सेना में बहुत अच्छे लड़ाके सैनिक हो गये थे.

शिवाजी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ (Important events in Shivaji’s Life)

टोरणा की विजय (Conquest of Torana): यह मराठाओं के सरदार के रूप में शिवाजी द्वारा कब्जा किया गया पहला किला था. उन्होंने यह जीत महज 16 साल की उम्र में हासिल कर वीरता और दृढ़ संकल्प से अपने शासन की नींव रखी.

टोरणा की विजय ने शिवाजी को रायगढ़ और प्रतापगढ़ फतह करने के लिए प्रेरित किया और इन विजयों के कारण बीजापुर के सुल्तान को चिंता हो रही थी कि अगला नंबर उसके किले का हो सकता है और उसने शिवाजी के पिता शाहजी को जेल में डाल दिया था.

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ईस्वी 1659 में, शिवाजी ने बीजापुर पर हमला करने की कोशिश की, फिर बीजापुर के सुल्तान ने अपने सेनापति अफजल खान को 20 हजार सैनिकों के साथ शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजा, लेकिन शिवाजी ने चतुराई से अफजल खान की सेना को पहाड़ों में फंसा लिया और बागनाख या बाघ के पंजे नामक घातक हथियार से अफजल खान की हत्या कर दी थी.
अंत में, 1662 में, बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी के साथ एक शांति संधि की और उन्हें अपने विजित प्रदेशों का एक स्वतंत्र शासक बना दिया.

कोंडाना किले की विजय (Conquest of Kondana fort): यह किला नीलकंठ राव के नियंत्रण में था. इसको जीतने के लिए मराठा शासक शिवाजी के कमांडर तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के किला रक्षक उदयभान राठौड़ के बीच युद्ध हुआ था. इस युद्ध में तानाजी मालुसरे की मौत हो गयी थी लेकिन यह मराठा यह किला जीतने में कामयाब रहे थे. इन्ही तानाजी मालसुरे के ऊपर एक फिल्म बनी है जो कि सुपरहिट हुई है.

शिवाजी का राज्याभिषेक: 1674 ई. में, शिवाजी ने खुद को मराठा साम्राज्य का स्वतंत्र शासक घोषित किया और उन्हें रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी के रूप में ताज पहनाया गया था. उनका राज्याभिषेक मुगल सल्तनत के लिए चुनौती बन गया था.

राज्याभिषेक के बाद, उन्हें हैडवा धर्मोधरका ’(हिंदू धर्म के रक्षक) का खिताब मिला था. यह ताजपोशी लोगों को भू-राजस्व इकट्ठा करने और कर लगाने का वैध अधिकार देती है.

शिवाजी का प्रशासन (Shivaji’s Administration)

शिवाजी का प्रशासन काफी हद तक डेक्कन प्रशासनिक प्रथाओं से प्रभावित था. उन्होंने आठ मंत्रियों को नियुक्त किया जिन्हें ‘अस्तप्रधान’ कहा गया था, जो उन्हें प्रशासनिक मामलों में सहायता प्रदान करते थे.उनके शासन में अन्य पद थे;

1. पेशवा: सबसे महत्वपूर्ण मंत्री थे जो वित्त और सामान्य प्रशासन की देखभाल करते थे.

2. सेनापति: ये मराठा प्रमुखों में से एक थे. यह काफी सम्मानीय पद था.

3. मजूमदार (Majumdar): ये अकाउंटेंट होते थे.

4. सुरनवीस या चिटनिस (Surnavis or chitnis): अपने पत्राचार से राजा की सहायता करते थे.

5. दबीर (Dabir): समारोहों के व्यवस्थापक थे और विदेशी मामलों से निपटने में राजा की मदद करते थे.

6. न्यायधीश और पंडितराव: न्याय और धार्मिक अनुदान के प्रभारी थे.

इस प्रकार शिवाजी की जीवनी पढने से स्पष्ट है कि वे एक न केवल एक कुशल सेनापति, एक कुशल रणनीतिकार और एक चतुर कूटनीतिज्ञ था बल्कि एक कट्टर देशभक्त भी थे. उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए औरंगजेब जैसे बड़े मुग़ल शासक से भी दुश्मनी की थी.

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