भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य L1 में लगे सोलर अल्ट्रॉवायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) ने सूर्य की फुल डिस्क तस्वीरें खींची हैं। इन्हें कैद करने के लिए टेलिस्कोप ने 11 फिल्टर का इस्तेमाल किया है।
इसरो ने शुक्रवार (8 दिसंबर) को X पर इन तस्वीरों को शेयर किया। साथ ही लिखा- SUIT ने जो तस्वीरें खींची हैं, उनमें सनस्पॉट, ब्लैक स्पॉट, सूर्य का शांत क्षेत्र नजर आ रहा है।
सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) पेलोड ने अल्ट्रावायलेट वेबलेंथ्स के पास सूर्य की फुल डिस्क इमेज कैप्चर की हैं। इनमें 200 से 400 नैनो मीटर तक की वेबलेंथ में सूर्य की पहली फुल-डिस्क रिप्रजेंटेशन शामिल है। तस्वीरें सूर्य के फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर के क्रिटिकल डीटेल्स दिखा रही हैं।
सूर्य की स्टडी के लिए 2 सितंबर को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस स्टेशन से पोलर सैटेलाइट व्हीकल (PSLV-C57) के जरिए आदित्य L1 मिशन को लॉन्च किया गया था।
इसरो चीफ के मुताबिक आदित्य L1 मिशन फाइनल फेज में है। इसके 7 जनवरी 2024 तक लैगरेंज पॉइंट पर पहुंचने की उम्मीद है।
इन तस्वीरों से क्या फायदा मिलेगा
SUIT के जरिए भेजी गई तस्वीरों की स्टडी से वैज्ञानिकों को मैग्नेटिक सोलर एटमॉस्फीयर की डायनैमिक कपलिंग की स्टडी में मदद मिलेगी। इससे पृथ्वी पर सोलर रेडिएशन के असर को रोकने के उपाय तलाशने में भी मदद मिलेगी।
इससे पहले इसरो ने 7 सितंबर 2023 को आदित्य L1 पर लगे कैमरे से ली गई सेल्फी के साथ पृथ्वी और चंद्रमा की तस्वीरें शेयर की थीं। आदित्य L1 ने 4 सितंबर को ये फोटो खींची थीं। फोटो में आदित्य L1 पर लगे 2 इंस्ट्रूमेंट VELC और SUIT भी दिखाई दे रहे थे।
लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) क्या है?
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है।
ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी उस पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।
सूर्य की स्टडी क्यों जरूरी?
जिस सोलर सिस्टम में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य ही है। सभी आठ ग्रह सूर्य का ही चक्कर लगाते हैं। सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य से लगातार ऊर्जा निकलती है। इन्हें हम चार्ज्ड पार्टिकल्स कहते हैं। सूर्य का अध्ययन करके ये समझा जा सकता है कि उसमें होने वाले बदलाव अंतरिक्ष को और पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।